ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian कैलेंडर) ,
दोस्तों आज हम बात करेंगे ग्रीगोरियन कलैंडर के बारे में , दुनिया में लगभग हर जगह इसका उपयोग किया जाने वाला केलैंडर है। यह जूलियन कैलेंडर (Julian calendar) का रूपान्तरण है। इसे पोप ग्रेगोरी (Pope Gregory XIII) ने लागू किया था। इससे पहले जूलियन कैलेंडर प्रचलन में था, लेकिन उसमें अनेक कमियां थीं, जिन्हें ग्रेगोरी कलेण्डर में दूर कर दिया गया।
gregorian calendar |
ग्रेगोरी कलेण्डर की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित पंचांग हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों में बाँटा गया है और यह 20871 सप्ताह (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमे 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमे 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकेंड होते है।
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जूलियन कैलेंडर में 365 दिन 6 घंटे का वर्ष माना जाता था, परंतु ऐसा मानने से प्रत्येक वर्ष क्रांति-पातिक सौर वर्ष से (5 घंटा 48 मिनट 46 सेकंड की अपेक्षा 6 घंटे अर्थात्) 11 मिनट 14 सेकंड अधिक लेते हैं। यह आधिक्य 400 वर्षों में 3 दिन से कुछ अधिक हो जाता है। इस भूल पर सर्वप्रथम रोम के पोप (13वें) ग्रेगरी ने सूक्ष्मतापूर्वक विचार किया। उन्होंने ईसवी सन् 1582 में हिसाब लगाकर देखा कि नाइस नगर के धर्म-सम्मेलन के समय से, जो ईसवी सन 325 में हुआ था, पूर्वोक्त आधिक्य 10 दिन का हो गया है, जिसको गणना में नहीं लेने के कारण तारीख 10 दिन पीछे चल रही थी ,
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इस विचार से उन्होंने नेपुलस् के ज्योतिषी एलाय सियस लिलियस (Aloysitus lilius) के परामर्श से 1582 ईस्वी में 5 अक्टूबर को (10 दिन जोड़कर) 15 वीं अक्टूबर निश्चित किया और तब से यह नियम निकाला कि जो शताब्दी वर्ष 4 से पूरी तरह विभाजित होने की बजाय यदि 400 से पूरी तरह विभाजित हो तभी उसे अधिवर्ष (लीप ईयर) माना जाए अन्यथा नहीं। इस नवीन पद्धति का आरंभ चूँकि पोप ग्रेगरी ने किया, इसलिए इसको ग्रेगोरियन पद्धति अथवा नवीन पद्धति (न्यू स्टाइल) कहा गया।